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AI से संभव फायदे और खतरे: कैसे करें इस तकनीक का संतुलित उपयोग?

गूगल की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टीम के अध्यक्ष जॉफ्री हिंटन ने अपने चैटबॉट इंजीनियरिंग काम से इस्तीफा दे दिया है। हिंटन एक प्रसिद्ध आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रशंसक हैं जो गूगल में लगभग तीन दशक से अध्ययन और शोध कर रहे हैं। हालांकि, वे अब खुद को एक बड़ी खतरे की ओर बढ़ते हुए देख रहे हैं।

जॉफ्री हिंटन ने इस्तीफा देने के बाद अपने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा है कि उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास में लगातार बढ़ती हुई खतरे की चिंता होती थी। उन्होंने इसे “काफी डरावना” बताया है। हिंटन ने अपने ब्लॉग पोस्ट में यह भी कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने अब एक सीमा पार कर ली है और यह समझना अब और मुश्किल हो गया है कि क्या होगा।

हिंटन गूगल के साथ काम करते हुए अपने चैटबॉट इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए खुश थे, लेकिन उन्हें लगता था कि इसमें एकज्यादा तेजी से आगे बढ़ाने का खतरा है। वे अपने ब्लॉग पोस्ट में लिखते हैं, “जब हम इसे ज्यादा तेजी से बढ़ाने लगते हैं, तो हमें ध्यान देने की जरूरत है कि यह कहाँ जा रहा है और हमें इस तेजी से बढ़ाने का मूल्य क्या होगा।

हिंटन का इस्तीफा गूगल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास के लिए एक बड़ी दशक में सबसे बड़ी सदस्यों में से एक होने के नाते, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास में एक बड़ी रोल निभाते हुए एक बड़ी धक्का है।

हिंटन के इस्तीफे के बाद, एक संबंधित बातचीत में, वे यह भी कहते हैं कि इसे नियंत्रण में रखना और इसकी रफ्तार को बढ़ाने के बीच एक संतुलन बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।

हिंटन ने इस संबंध में अपने एक ब्लॉग पोस्ट में यह भी बताया है कि उन्होंने अपनी इस चिंता को लेकर अपने नए प्रोजेक्ट्स की शुरुआत भी रोक दी है।

गूगल के अधिकृतों ने हिंटन के इस्तीफे के बाद एक बयान जारी करते हुए कहा है कि उनका इस्तीफा अफवाहों से भरा है और गूगल उनकी इस बात से असहमत है।

वे कहते हैं, “हम हमेशा स्वतंत्र विचार और सूचित विकल्पों के लिए स्वागत करते हैं। लेकिन हम खेद हैं कि गोविंदराजन हिंटन जैसे एक महान वैज्ञानिक ने हमसे इस तरह का फैसला लिया है।”

गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने भी ट्विटर पर एक बयान जारी करते हुए इस मुद्दे पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, “Geoffrey Hinton जैसे बड़े वैज्ञानिकों ने हमारे जीवन को बदलने वाले तकनीकी उत्पादों के लिए अद्भुत योगदान दिया है। उनके समर्थन के लिए व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद करता हूँ।

हालांकि, हिंटन का इस्तीफा एक सामान्य घटना नहीं है। पहले भी कई ऐसे संशोधकों और वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संबंध में अपनी चिंताओं को जाहिर किया है। इसमें अमरीकी उद्योगवाद इलन मस्क और हॉवर्ड जॉइंट इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक स्टीवन पिंकर शामिल हैं।

इससे पहले, हिंटन ने अपनी उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार जीते हैं, जिसमें ट्यूरिंग पुरस्कार भी शामिल है। वे इंटेलिजेंट सिस्टम्स के विकास के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं।

जब उनसे उनके इस्तीफे के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वे एक नए संदर्भ में काम करना चाहते हैं। वे इस मामले में कुछ नहीं बताना चाहते हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करते हुए, हिंटन ने कहा कि उन्हें अपनी चिंताओं को जाहिर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एक नयी एवं स्वतंत्र संसाधन बनाने की जरूरत है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित चुनौतियों का सामना करता है।

वे इस विषय पर उनके साथ काम करने वाले लोगों को जागरूक करना चाहते हैं ताकि वे इस समस्या को हल करने के लिए एक संवेदनशील तरीके से काम कर सकें।

इसके साथ ही, वे यह भी कहते हैं कि अगर नहीं सोचा जाएगा तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इतनी तेजी से आगे बढ़ेगा कि हमें उसकी रोकथाम नहीं करने में सक्षम होने में असमर्थ हो जाएंगे।

यह समस्या न केवल उनकी नहीं है, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विश्व के कई वैज्ञानिकों और संशोधकों की चिंता है। इसके अलावा, इसके उपयोग से संबंधित नैतिक, सामाजिक और कानूनी मुद्दों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

जिस तरह से आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विकास और उपयोग में है, उससे जुड़ी सभी चुनौतियों को हल करने के लिए वैज्ञानिकों, नेताओं, नैतिक और सामाजिक विचारकों को संगठित रूप से काम करनाहोगा।

इससे पहले नहीं, इससे बाद में हमें एक समाधान तलाश करना होगा जो हमें यह सुनिश्चित कर सकेगा कि हम एक सक्षम तरीके से इस तकनीक का उपयोग कर सकते हैं जो हमारे समाज के लाभ के लिए होता है।

आज के दौर में, जब हम संवेदनशील तकनीक के उपयोग से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उस समय हमें इस तकनीक के विकास के लिए सही दिशा निर्देश देने वाले वैज्ञानिकों और उनके सहयोगियों को उनके भविष्य के लिए बढ़िया देश देना चाहिए।

इससे पहले कि हम इस तकनीक को बिना सोचे समझे उपयोग करें, हमें इस तकनीक को आवश्यकताओं के अनुसार रूपांतरित करने की आवश्यकता होगी ताकि हम इसे एक सक्षम और उपयोगी तरीके से उपयोग कर सकें।

इस तरह, हम अपने समाज के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संभव लाभों को उठा सकते हैं जबकि इसके संबंध में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना भी कर सकते हैं। इसके अलावा, हमें अपने लोगों की सुरक्षा और न्याय की भी चिंता करनी चाहिए।

गूगल जैसी वैश्विक कंपनियों के साथ-साथ हमें एक नेतृत्व देने वाले वैज्ञानिकों की आवश्यकता होती है जो इस तकनीक के विकास में शामिल हों और सुनिश्चित करें कि यह सभी के लिए सुरक्षित और उपयोगी हो। वे अपने अनुभव से हमें सही दिशा दिखा सकते हैं ताकि हम इस तकनीक के संभव उपयोगों का उचित फायदा उठा सकें।

साथ ही, यह भी जरूरी है कि हम सार्वजनिक नीतियों को भी संशोधित करें ताकि इस तकनीक के उपयोग के साथ-साथ लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो। साथ ही, हमें इस तकनीक के उपयोग से होने वाली संभावित चुनौतियों के लिए तैयार भी रहना होगा।

आखिरकार, हमें समझना होगा कि आर्टिफिशियल

टेलिजेंस की संभव जोखिम और उनसे बचने के तरीकों को समझना भी जरूरी है। हमें यह समझना चाहिए कि आगे बढ़ते समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नई प्रकृतियों और तकनीकों के साथ-साथ उनके उपयोग में भी इंसानों के जीवन और व्यवहार पर असर होना जारी रहेगा।

इस बात को याद रखना भी जरूरी है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास से हमारे समाज में समाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और मौलिक बदलाव भी होने वाले हैं। इसलिए हमें इस तकनीक के संभव उपयोगों के साथ-साथ इसके असामाजिक प्रभावों को भी ध्यान में रखना होगा।

इससे संबंधित विवादों में, गूगल जैसी कंपनियों को खुले विचार विमर्शों का सामना करना चाहिए ताकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का समाधान निकाला जा सके। साथ ही, वैज्ञानिकों को इस तकनीक के विकास के साथ-साथ उसके संभव जोखिमों के लिए भी जिम्मेदार होना होगा।

अंततः, इस मुद्दे पर सही समझौतों का निर्णय लेना जरूरी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास से जुड़े विवादों और संभावित खतरों के साथ इस तकनीक के संभव उपयोगों को भी ध्यान में रखना होगा। एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है इस तकनीक के विकास से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए संबंधित लोगों के बीच निष्पक्ष वार्ता और विमर्श का माहौल बनाना होगा।

इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विकास से जुड़े विवादों और संभावित खतरों को लेकर वैज्ञानिकों और लोगों के बीच मतभेद हुए हैं। इससे सामान्य जनता के बीच इस तकनीक के प्रति भी आशंकाएं बढ़ गई हैं। हालांकि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने हमें कई सुविधाएं प्रदान की हैं जैसे विशेषज्ञता, त्वरितता, निरंतरता और संचय की शक्ति।

इस तकनीक के उपयोग से हमारे दैनिक जीवन में भी कई सुधार हो रहे हैं, जैसे ऑटोमेटेडवाहन, स्मार्ट होम तकनीक, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और भी कई तकनीकी उपकरण जिन्हें हम अब अपने दैनिक जीवन में स्वयंसेवा तौर पर उपयोग करते हैं। इसलिए, हमें यह समझना चाहिए कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक उपयोगी तकनीक है, जो हमें कई विषयों में आराम देती है।

इसके अलावा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से कई बड़ी समस्याओं का समाधान भी संभव है, जैसे कि वैज्ञानिक अनुसंधान, रोग निदान, जहाजों और उड़ानों का संचालन, और भी कई अन्य।

इसलिए, हमें इस तकनीक के संभव खतरों को समझने और उन्हें समझौते के माध्यम से दूर करने की जरूरत है। वैज्ञानिक विकास के साथ, हमें एक संतुलित तरीके से आगे बढ़ना होगा, ताकि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संभव फायदों का उपयोग कर सकें, इसके साथ ही इस तकनीक के संभव नुकसानों से भी बच सकें।

Source : Google Scientist Quits Over Concerns of AI Risks to Humans

सुंदर सिंह मेहराhttps://m.howtohindi.in
Sunder Singh Mehra a computer science engineer with a passion for technology and solving problems. With 17 years of experience in the field, Sunder has developed a deep understanding of how technology can be used to improve our lives and make the world a better place. Sunder's writing provides a unique perspective on the intersection of technology and society, and he is dedicated to helping others understand the impact that technology is having on our world.

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